हमारे हिंदू धर्म में कुछ लोग शिव को ईश्वर मांगते हैं कुछ नारायण को और श्रीराम श्रीकृष्ण आदि अनेकों नामों से लोग ईश्वर को पूजते हैं कुछ लोग कहते हैं ईश्वर एक है और स्पष्ट भी है कि ईश्वर के कई नाम है परंतु जो भी हो एकेश्वरवाद में एक संदेश छुपा है वह है इष्ट देव का हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के अलग-अलग नाम और उनके स्वरूप का वर्णन मिलता है।
जो लोग आस्थावान हैं उनके लिए यह प्रश्न काफी महत्वपूर्ण है कि मुझे किसकी पूजा करनी चाहिए।
कहते हैं कि मनुष्य एक स्वार्थी प्राणी है यदि पूजा भी करेगा तो उसके पीछे भी उसका स्वार्थ होगा चाहे वह मोक्ष प्राप्ति ही क्यों ना हो अब यदि मनुष्य स्वार्थी है तो उसे अपने हितसाधन के अनुरूप ही अपना एक चुनना चाहिए।
ख्वाहिश एक और मन्नतें कई
जीवन की किसी विशेष इच्छा की पूर्ति के लिए कई बार हम मन्नत मांगते हैं मंदिर गए तो वहां मन्नत मांग ली गुरुद्वारा गए तो वहां भी मन्नत मांग ली और अधिकतर लोग यह भूल जाएंगे की मन्नत कहां कहां मांगी है क्या इससे यह सिद्ध नहीं होता कि हमें ईश्वर के किसी भी रूप पर पूर्ण विश्वास नहीं है और यदि विश्वास है तो डगमगाता क्यों है।
अब कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सवाल उठाते हैं पूजा में मूर्ती का क्या महत्व है क्या आवश्यकता है और पत्थर की पूजा क्यों करें। मूर्ती का एक ख़ास महत्व है। मूर्ती एक प्रतीक है। यह याद रखने के लिए कि हम अमुक देवी देवता के लिए कर्म कर रहे हैं फिर चाहे पत्थर हो या किसी प्रकार की धातु। मन तब तक एकाग्र नहीं होगा जब तक अंतर्मन में ईश्वर के प्रति एक छवि नहीं बनेगी। किसी भी मूर्ती का अखंडित होना सुन्दर होना मन में एक उमंग पैदा करता है एक पवित्रता का संचार होता है।
मूर्ती में प्राण प्रतिष्ठा का विधान है जो शुद्धिकरण का एक चरण है। हम किसी पत्थर की पूजा नहीं कर रहे हैं हम अपने मन को एकाग्र करके शुद्ध कर रहे हैं जो शुद्धता लम्बे समय तक बनी रहती है उसमे सकारात्मक परिवर्तन होता है। कहते हैं न की मन चंगा तो कटौती में गंगा। मन साथ नहीं है तो पूजा करने से पहले मन को शांत करने का उपाय करना होगा। हमारे मन की ताकत असीम है और इस ताकत में वृद्धि होती है जब ईश्वर का प्रतीक सामने होता है।
सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आपके जीवन का लक्ष्य क्या है।
धन और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए कुबेर गणेश और महालक्ष्मी, शत्रुओं के नाश के लिए प्रतिस्पर्धा में विजय प्राप्ति के लिए तथा सर्वत्र सफलता प्राप्ति के लिए बगलामुखी, महाकाली तथा छिन्नमस्ता, रोग नाश तथा स्वास्थ्य लाभ के लिए श्री राम रक्षा स्त्रोत, मोक्ष प्राप्ति के लिए शिव, पितरों की संतुष्टि के लिए ब्रह्मा, संतान और संपूर्ण परिवार के लिए विष्णु को इष्ट देव मानकर पूजा प्रारंभ करें।
एक ही मंत्र का चुनाव करें तथा अभीष्ट सिद्धि होने तक किसी अन्य मंत्र का जाप ना करें अपना लक्ष्य सीमित रखें पूजा स्थान बार-बार ना बदले पूजा का समय एक सा रखें मंत्र पढ़ने का तरीका एक रखे यानी मानसिक जप कर रहे हैं तो केवल मानसिक जप करें उपांशु कर रहे हैं तो केवल उपांशु करें जो भी करें उसमें कंसिस्टेंसी रखें माला आसन आदि सब कुछ एक जैसा ही रहे।
कैसा भी कार्य हो स्थिरता (Consistency) का अपना महत्व होता है कंसंट्रेशन और कंसिस्टेंसी का सही तालमेल और आपकी भावना को मिलाकर जो पूजा की जाती है वह जल्दी सिद्ध होती है।
निष्कर्ष यही है कि पूजा हो प्रार्थना हो या फिर देव दर्शन की इच्छा हो मन का एकाग्र रहना अति आवश्यक है यदि आपका मन आपके साथ हैं है तो किसी भी तरह से अच्छे की उम्मीद करना व्यर्थ है
Ashok Prajapati is India, Ambala based dedicated astrologer serving people from last 25 years. Hi believe in practical astrology which comes from experience. He believes in Hindu Mantras & blessing people who have faith. His mission is to share maximum knowledge he learn from people's life and help the poor and helpless people.
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